छठ पूजा की शुरुआत किसने की?
पुराणो के मन्नत के अनुसार:-
छठ या सूर्य पूजा महाभारत काल से की जाती है। कहते हैं कि छठ पूजा की शुरुआत सूर्य पुत्र कर्ण ने की थी। कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे। मान्याताओं के अनुसार, वे प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े रहकर सूर्य को अर्घ्य देते थे। सूर्य की कृपा से ही वे महान योद्धा बने थे।
ऐतिहासिक रूप से, मुंगेर सीता मनपत्थर (सीता चरण) सीताचरण मंदिर के लिए जाना जाता है जो मुंगेर में गंगा के बीच में एक शिलाखंड पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि माता सीता ने मुंगेर में छठ पर्व मनाया था। इसके बाद ही छठ महापर्व की शुरुआत हुई। इसीलिए मुंगेर और बेगूसराय में छठ महापर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
एक कथा के अनुसार प्रथम देवासुर संग्राम में जब असुरों के हाथों देवता हार गये थे, तब देव माता अदिति ने तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए देवारण्य के देब सूर्य मंदिर में रनबे (छठी मैया) अपनी पुत्री की आराधना की थी। तब प्रसन्न होकर छठी मैया ने उन्हें सर्वगुण संपन्न तेजस्वी पुत्र होने का वरदान दिया था। इसके बाद अदिति के पुत्र हुए त्रिदेव रूप आदित्य भगवान, जिन्होंने असुरों पर देवताओं को विजय दिलायी।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, राजा प्रियवंद नि:संतान थे, उनको इसकी पीड़ा थी। उन्होंने महर्षि कश्यप से इसके बारे में बात की। तब महर्षि कश्यप ने संतान प्राप्ति के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ कराया। उस दौरान यज्ञ में आहुति के लिए बनाई गई खीर राजा प्रियवंद की पत्नी मालिनी को खाने के लिए दी गई। यज्ञ के खीर के सेवन से रानी मालिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन वह मृत पैदा हुआ था। राजा प्रियवंद मृत पुत्र के शव को लेकर श्मशान पहुंचे और पुत्र वियोग में अपना प्राण त्याग लगे
हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ पूजा की शुरुआत हो जाती है। यह महापर्व पूरे चार दिनों तक चलता है। छठ पूजा का मुख्य व्रत कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है। इस बार इसकी शुरुआत 5 नवंबर से हो रही है, जो कि 7 नवंबर तक चलेगा
छठ पूजा 2024:-इस साल 7 नवंबर को छठ पर्व मनाया जाएगा। 8 को सुबह का अर्घ्य देने के बाद पारण किया जाएगा।
आस्था का महापर्व छठ हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू हो जाता है। इसे सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है। छठ पूजा की विशेष धार्मिक मान्यता होती है। इस कठिन व्रत को महिलाएं घर की खुशहाली और संतान की सलामती के लिए रखती हैं। इसे सूर्य षष्ठी, छठ, छठी और डाला छठ जैसे नामों से भी जाना जाता है। छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है। इस बार इसकी शुरुआत 5 नवंबर से होगी। 8 नवंबर को इसका पारण होगा। छठ पूजा सूर्य देव की पूजा के लिए समर्पित एक प्रमुख हिंदू त्योहार है।
यह बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। यह त्योहार चार दिनों तक चलता है। मुख्य अनुष्ठानों में डूबते और उगते सूरज दोनों को प्रार्थना करना शामिल है। भक्त, विशेष रूप से महिलाएं, उपवार Get App रखती हैं और अपने परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए प्रार्थना करती हैं।
छठ पूजा कब है?
हर साल छठ पूजा दिवाली से 6 दिन बाद की जाती है। पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 7 नवंबर की देर रात 12.41 बजे से शुरू होगी और इसका समापन 8 नवंबर की देर रात 12.34 बजे होगा। ऐसे में 7 नवंबर, गुरुवार के दिन ही संध्याकाल का अर्घ्य दिया जाएगा। सुबह का अर्घ्य अगले दिन 8 नवंबर को दिया जाएगा। इसके बाद पारण होगा।
छठ पूजा 2024 कैलेंडर
छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-संध्या अर्घ्य
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उषा अर्घ्य
नहाय खाय
नहाय खाय से छठ पूजा की शुरुआत होती है। इस दिन श्रद्धालु नदी या तालाब में स्नान करते हैं। अगर नदी में नहाना संभव न हो ते घर पर भी नहा सकते हैं। इसके बाद व्रती महिलाएं भात, चना दाल और लौकी का प्रसाद बनाकर ग्रहण करती हैं। इस दिन शुद्ध और सात्विक भोजन किया जाता है।
खरना क्या है?
छठ पूजा के दूसरे दिन को लोहंडा या खरना कहा जाता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को खरना का प्रसाद बनाया जाता है। इस दिन माताएं दिनभर व्रत रखती हैं और पूजा के बाद खरना का प्रसाद खाकर 36 घंटे के निर्जला व्रत का आरंभ करती है। इस दिन मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी से आग जलाकर प्रसाद बनया जाता है।
संध्या अर्घ्य
तीसरे दिन, व्रती सूर्यास्त के समय नदी या तालाब के किनारे जाकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। यह छठ पूजा का सबसे अहम दिन होता है। इसके साथ ही बांस के सूप में फल, गन्ना, चावल के लड्डू, ठेकुआ सहित अन्य सामग्री रखकर पानी में खड़े होकर पूजा की जाती है।
प्रातःकालीन अर्घ्य
चौथे दिन, उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन व्रती अपने व्रत का पारण करते हैं। साथ ही अपनी संतान की लंबी उम्र और अच्छे भविष्य की कामना करते हैं। इसी दिन प्रसाद वितरण किया जाता है।
छठ पूजा का प्रसाद भी है विशेष
छठ पूजा में ठेकुआ, मालपुआ, चावल के लड्डू, फलों और नारियल का प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। सबसे पह सारी चीजें सूर्यदेव और छठी मैय्या को अर्पित किया जाता है।
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